re: Day trading Nifty & Banknifty Futures
दोस्तों,
दिल्ली के सन्दर्भ में बीजेपी की हालत दरअसल उस उस व्यक्ति की तरह हो गयी है जो कई दिनों से भूखा हो और एकदम से उसके सामने छतीस पकवानों से भरी थाली परोस दी गयी हो पर ऐन वक़्त पर आकर किसी बच्चे ने आकर पूरी की पूरी थाली ही जमीन पर गिरा दी हो...
बीजेपी के ज्यादातर नेता आजकल कुछ ज्यादा ही तिलमिलाए हुए हैं...एक तो ये कि अब उस बच्चे को पकड़ कर पीट भी नहीं सकते और उसपर तुर्रा ये कि दूसरी थाली भी मौजूद नहीं है.. उन्हें पता है कि दूसरी बार फिर से छतीस पकवान तो छोडिये भरपेट खाना भी नसीब हो जाये तो गनीमत होगी...इसीलिए बच्चे को बार-बार गरिया रहे है, उसे कोस रहे हैं, भला-बुरा कह रहे हैं...
उधर जेल की सलाखों के पीछे बंद "आधुनिक सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र" श्री लालू प्रसाद यादव कल जेल से जमानत आर बाहर निकले तो जिस तरीके से वो सीना चौडा करके और हाथ हिला-हिला कर बाहर निकले उतने आत्म-विश्वास और गर्व के साथ तो स्वर्गीय नेल्सन मंडेला जी भी जेल से बाहर नहीं निकले थे...आते ही "युगपुरुष" लालू जी ने कहा कि अरविन्द बहरूपिया है....जनता को ठगने आया है दिल्ली की...
सुन लिया हमने जनाब...ठीक है...बहुरुपिया कौन है इससे बेहतर बिहार की गाय-भैंस से बेहतर कौन बता सकता है जिनका चारा कोई भेष बदल कर खा गया था ------और हाँ !! अब तनिक दो-चार दिन आराम से भाभी जी के हाथ का भोजन चख लें अच्छे से क्योंकि आगे जेल में फिर ना जाने कब नसीब होगा घर का भोजन भगवान् जाने...
उधर गाँव में बाबूजी दो कमरे के अस्पताल बनने से बहुत खुश हैं....बुआ, बड़ी-बहन, फूफा जी और दूर की मौसी के लड़के ( जिसे अलग किस्म की दाढ़ी रखने का शौक है ) बार- बार कह रहे हैं कि अस्पताल खुल तो गया ये क्या कम है...उनका कहना है कि डाक्टर, नर्स, प्रयोगशाला, दवाइयां, इमरजेंसी किट, एम्बुलेंस वैगेरह बाद में कभी आ जायेंगे पर फिलहाल अभी दो कमरे तैयार होकर उसके सामने "अस्पताल" का बोर्ड तो लग गया ना !! कम से कम खांसी, जुकाम, बुखार का तो इलाज़ शुरू हो गया ना...
किसी ज़माने में सभी बड़े रोगों के इलाज़ के लिए सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल का सपना देखने और इस मुल्क को दिखाने वाले बाबू जी आज इन रिश्तेदारों और पड़ोसियों के समझाने पर इस दो कमरों के अस्पताल से बहुत प्रसन्न हैं और इसी ख़ुशी में उन्होंने सीमेंट की जगह रेत ज्यादा इस्तेमाल करके इस अस्पताल को बनाने वाले ठेकेदारनी के बेटे को शुक्रिया का ख़त भी लिख दिया....
उधर ठेकेदारनी का बेटा अब तक कई बार अलग अलग कामों में हाथ आजमा चूका था पर हर बार उसे नुक्सान ही उठाना पड़ा....जबसे इस काम में आया है तब से किस्मत साथ ही नहीं दे रही थी बेचारे की...जहाँ भी ठेकेदारी करने की कोशिश की वहीँ पर घाटा...कई जगह तो ऐसा हुआ कि नया ठेका तो क्या हासिल करना था बल्कि जो ठेका उसके परिवार के लोगों ने "पुरखों" के नाम से येन-केन-प्रकारेन हथिया कर रखे थे उनसे भी हाथ धोना पड़ा.....
पर फिर भी अस्पताल के ठेके को पूरा करने वाली बाबूजी की चिट्ठी पाकर वो ऐसा गदगद हुआ कि बाबू जी को शुक्रिया अदा किये बगैर रह ना सका....उसी ज्यादा ख़ुशी इस बात की थी कि जिन्दगी में पहली बार किसी ने उसे किसी लायक समझा तो सही....
बाबूजी के बच्चे आज भी उनके असली अस्पताल का सपना पूरा करने में लगे हैं....फिलहाल थोडा सा धर्मसंकट उनके सामने आ गया है और वो उसी सिलसिले में गाँव के ज्यादातर लोगों से से सलाह-मशविरा कर रहे हैं...उम्मीद है जल्द ही वो इस चुनौती का हल निकाल कर बाबूजी के असली सपने को पूरा करने के अभियान में आगे बढ़ेंगे....
वैसे बाबूजी के बच्चे आपकी सलाह भी मांग रहे हैं उस धर्मसंकट से निबटने के लिए..क्या आप उन्हें सही और अंतिम निर्णय लेने में सहायता नहीं करेंगे ?
तो फिर बाबू जी के बच्चों की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर उन्हें सलाह दें....
जय हिन्द !! वन्दे मातरम !!